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अव्यव किसे कहते है? भेद या प्रकार परिभाषा, उदाहरण सहित

हेलो दोस्तो आज में आपको इस लेख में अव्यव की परिभाषा और इसके भेद और इनके भेदों के प्रकार या भेद भी इस लेख में बताएं जा रहे है। और यह लेख आपके लिए बहुत ही important साबित होने वाला है। मुझे लगता है कि आपको इस लेख को कम से कम दो बार अवश्य पड़ना चाहिए जिससे आपको यह लेख अच्छे से समझ आएगा।

अव्यव किसे कहते है? भेद या प्रकार परिभाषा, उदाहरण सहित
अव्यव किसे कहते है?

जिन शब्दों के रूप में लिंग, वचन, कारक आदि के कारण कोई परिवर्तन नही होता है, उन्हें अव्यव या अविकारी शब्द कहते है ।

Avyay kise kahate hain

दूसरे शब्दों में

'अव्यव' ऐसे शब्द होते है, जिसके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि के कारण कोई विकार उत्पत्र नही होता है, ऐसे शब्द हर स्थिति में अपने मूलरूप में बने रहते है। चूँकि अव्यव का रूपान्तर नहीं होता, इसलिए ऐसे शब्द अविकारी होते हैं। 


जैसे–

जब, तब, अभी, उधर, वहाँ, इधर, कब, क्यों, वाह, आह, ठीक, अरे, और, तथा, एवं, किन्तु, परन्तु, बल्कि, इसलिए, अतः, अतएव, चूँकि, अवश्य, अर्थात इत्यादि।



(1)क्रिया विशेषण (Adverb):–

जिन शब्दों से क्रिया, विशेषण या दूसरे क्रियाविशेषण की विशेषता प्रकट हो, उन्हें 'क्रियाविशेषण' कहते है। 


दूसरे शब्दो में-

                जो शब्द क्रिया की विशेषता बतलाते है, उन्हें क्रिया विशेषण कहा जाता है। 

जैसे–

राम धीरे-धीरे टहलता है।

राम वहाँ टहलता है।

राम अभी टहलता है।


(2)संबंधबोधक (Preposition):–

जो शब्द वाक्य में किसी संज्ञा या सर्वनाम के साथ आकर वाक्य के दूसरे शब्द से उनका संबन्ध बताये वे शब्द 'सम्बन्धबोधक अव्यय' कहलाते है। 

दूसरे शब्दों में

                 जो अव्यव किसी संज्ञा के बाद आकर उस संज्ञा का सम्बन्ध वाक्य के दूसरे शब्द से दिखाते है, उसे 'सम्बन्धबोधक अव्यय' कहते हैं। 

यदि यह संज्ञा न हो, तो वही अव्यव क्रियाविशेषण कहलायेगा। 

जैसे–

दूर, पास, अन्दर, बाहर, पीछे, आगे, बिना, ऊपर, नीचे आदि। 


उदाहरण– 

वृक्ष के 'ऊपर' पक्षी बैठे है। 

धन के 'बिना' कोई काम नही होता। 

मकान के 'पीछे' गली है। 


(3)समुच्चयबोधक (Conjunction):–

जो अविकारी शब्द दो शब्दों, वाक्यों या वाक्यांशों को परस्पर मिलाते है, उन्हें समुच्चयबोधक कहते है। 


दूसरे शब्दों में

                ऐसा पद (अव्यव) जो क्रिया या संज्ञा की विशेषता न बताकर एक वाक्य या पद का सम्बन्ध दूसरे वाक्य या पद से जोड़ता है, 'समुच्चयबोधक' कहलाता है। 

जैसे–

 चूँकि, परन्तु, और किन्तु आदि। 


उदाहरण– 

आँधी आयी और पानी बरसा। 


यहाँ 'और' अव्यव समुच्चयबोधक है; क्योंकि यह पद दो वाक्यों- 'आँधी आयी', 'पानी बरसा'- को जोड़ता है। 


(4)विस्मयादिबोधक (Interjection):–

जो शब्द आश्चर्य, हर्ष, शोक, घृणा, आशीर्वाद, क्रोध, उल्लास, भय आदि भावों को प्रकट करें, उन्हें 'विस्मयादिबोधक' कहते है। 

दूसरे शब्दों में–

                 जिन अव्ययों से हर्ष-शोक आदि के भाव सूचित हों, पर उनका सम्बन्ध वाक्य या उसके किसी विशेष पद से न हो, उन्हें 'विस्मयादिबोधक' कहते है। 



ये अव्यय में विस्मयादिबोधक चिहन (!) लगाते है। 

जैसे–

हाय! अब मैं क्या करूँ ? 

हैं !तुम क्या कर रहे हो ? 

यहाँ 'हाय!' और 'है !' 

अरे !पीछे हो जाओ, गिर जाओगे। 

वैज्ञानिक नाम जाने:–

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